स्व-अनुशासन का अर्थ है जीवन में संतुलन, अर्थात् खानपान, दिनचर्या, व्यवसाय और संबंध, आदि में संतुलन। अनुशासन का सीधा संबंध एकाग्रता एवं लक्ष्य-प्राप्ति से है। ये लक्ष्य स्वास्थ्य, शिक्षा, धन, संबंध, व्यवसाय अथवा आध्यात्मिक उन्नति से जुड़े हो सकते हैं।
‘स्वयं पर अनुशासन या संयम कैसे करें?’ इस लेख-श्रृंखला में हम यह विषय लेंगे। स्वयं पर विजय पाने वाला ही सच्चा शूरवीर होता है। आईये, संयम या अनुशासन से सम्बन्धित कुछ महत्वपूर्ण पहलूओं पर विचार करते हैं।
“संयम” शब्द से हम क्या समझते हैं?
अक्सर “संयम” शब्द मर्यादा या संतुलन के अर्थ में प्रयोग होता है। प्रकृति में भी हम ऐसे उदाहरण देखते हैं जबकि वायु, जल, पृथ्वी या धूप द्वारा उसकी सीमा लांघने के कारण भारी विनाश-लीला का दृश्य उपस्थित हो जाता है; जैसे, आंधी-तूफ़ान, बाढ़, सूनामी, भूकंप या लू, आदि। फिर ऐसा कहा जाता है कि प्रकृति के अमुक तत्व ने अपना संयम खो दिया जिसके कारण भयावह स्थिति बन गयी। कुछ अन्य प्रसंगों में अनुशासन, धैर्य या नियंत्रण के लिये भी हम “संयम” शब्द का प्रयोग करते हैं। इसी प्रकार ‘आत्म-संयम’ का मुख्य अर्थ ‘स्वयं पर अनुशासन’ करना होता है।
हम सबके जीवन का सबसे सरल उदाहरण है, जब कोई डॉक्टर आपके खान-पान में परहेज करने का परामर्श देता है; अर्थात् संयम बरतने को कहता है। इस स्थिति में संयम रखने के लाभ और न रखने के हानियों को आप जितनी गंभीरता से समझते हैं, संयम करना उतना ही सरल हो जाता है।
यदि आपको किसी परीक्षा में बैठना है या कोई महत्वपूर्ण कार्य एक समय सीमा के अन्दर पूरा करना है तो आप अपनी ऊर्जा, समय एवं अन्य संसाधनों को बड़ी सावधानी से खर्चते हैं। इस तरह आप पायेंगे कि हम सभी संयम रखने के अनुभवी हैं। भले ही हम पूरी तरह सफ़ल होते हों या नहीं, पर हम इससे परिचित तो अवश्य हैं।
हमें जीवन में संयम क्यों चाहिये?
- अच्छे स्वास्थ्य के लिये – आप अच्छे स्वास्थ्य का आनंद तभी उठा सकते हैं जब आपका आहार संतुलित हो, आप नियमित व्यायाम या शारीरिक श्रम करते हों, आपकी नींद समुचित हो, और आप अपने शरीर का उचित ध्यान रखते हों। इन सभी में मर्यादा या संयम का कितना बड़ा योगदान है, इससे आप भली-भांति परिचित होंगे।
- मधुर संबंध के लिये – आपके प्रियजनों, सहकर्मियों या पड़ोसियों के साथ मधुर संबंध रहें, इसके लिये सबसे ज्यादा आवश्यकता किस बात की है? यही न कि आप उनके साथ अच्छा व्यवहार रखें। इसके लिये आपको अपनी भावनाओं को संतुलित रखना होता है। अर्थात् आप शांत रहें, यथासंभव सहयोग की भावना रखें, और उनके सुख-दुःख में साथ बने रहें। इसके लिये अपने विचारों एवं भावनाओं को संतुलित और संयमित रखना अनिवार्य है।
- सुदृढ़ आर्थिक स्थिति के लिये – आपकी आय के अनुरूप ही व्यय एवं बचत हो इसके लिये भी एक अनुशासन चाहिये। संयम के अभाव में सुदृढ़ आर्थिक स्थिति बनाये रखना असंभव है, भले ही आपकी आय कितनी ही ज्यादा क्यों न हो।
- व्यावसायिक उन्नति के लिये – आप अपने व्यवसाय में दीर्घकालीन सफलता तभी पा सकते हैं जब आप अपने कार्य-कौशल को निखारते रहें, अपने अन्दर कर्तव्य-निष्ठा एवं पारदर्शिता बनाये रखें एवं स्वार्थ-लोभ से ऊपर उठकर अपने साथ सबके विकास की भावना रखें। ऐसा करने के लिये स्वार्थी वृत्तियों पर अंकुश रखना होगा। यही काम तो आत्म-संयम का होता है।
- मनोरंजन के लिये – आपके जीवन में मनोरंजन का भी उतना ही महत्व है जितना कार्य का। अपनी रूचि या शौक के अनुसार कुछ समय बिताना या अपने प्रियजनों के साथ कहीं घूमने निकल जाना। परन्तु मनोरंजन के लिये आप समय कैसे निकालेंगे? इसके लिये आपके जीवन के अन्य क्रियाकलाप व्यवस्थित होने चाहियें। अर्थात् जीवन में संयम होगा तभी मनोरंजन भी होगा। अनुशासन एवं मनोरंजन दोनों ही आवश्यक हैं। साथ ही ये एक-दूसरे के पूरक भी हैं।
- आध्यात्मिक उन्नति के लिये – अध्यात्म आपको अपना ध्यान बाहर से हटाकर भीतर की ओर ले जाने में सक्षम बनाता है। हमारा मन और हमारी इन्द्रियाँ हर समय भौतिक संसार की ओर ही लगी रहती हैं। हमारे अन्दर भी एक सूक्ष्म संसार है जो बहुत ही दिलचस्प और शक्तिशाली है। परन्तु उस संसार के आनंद एवं शान्ति का अनुभव करने के लिये हमें अपने मन और इन्द्रियों को अनुशासन में रखना होता है। इसके लिये संयम का अभ्यास चाहिये।
मनुष्य जब अपनी इन्द्रियों पर संयम नहीं करता तो वह पूरे समाज के लिये अभिशाप बन जाता है। आज इन्द्रियों एवं मन के संयम की आवश्यकता बहुत अधिक है। संयम जितना व्यक्तिगत शान्ति एवं आध्यात्मिक उन्नति के लिये अनिवार्य है उतना ही समाज एवं देश की समृद्धि और एकता के लिये भी।
संयम किन-किन बातों में होना चाहिये?
सुखी जीवन के लिये हमें मुख्य रूप से निम्न 9 बातों में संयम रखना चाहिये:
- खानपान में
- दिनचर्या में
- वाणी में
- विचार एवं भावनाओं में
- व्यवहार में
- संबंध में
- व्यय में
- कार्य-व्यवसाय में
- मनोरंजन में
इस आत्म-संयम सीरीज़ के अगले लेख में हम संयम रखने के कुछ व्यावहारिक नुस्खों पर विचार करेंगे।
बहुत सुंदर तरीके से आपने स्व-अनुशासन को परिभाषित किया है, की कोई भी व्यक्ति सरल तरीके से समझ कर अपने जीवन में प्रयोग कर सकता है। आपको बहुत बहुत धन्यवाद एवम प्रणाम दीप भाई..!!!